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केंद्र सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्य
केंद्र सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की योजना पर 16 पन्नों का हलफनामा दायर किया है। इस हलफानामे में केंद्र ने बताया है कि कुछ रोहिग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क की जानकारी मिली है। ऐसे में ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।
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— Zee News Hindi (@ZeeNewsHindi) 18 September 2017
साथ ही केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि दिल्ली, जम्मू, मेवात और हैदराबाद में सक्रिय रोहिंग्या शरणार्थियों के आतंकी कनेक्शन होने की भी गुप्त खबर मिली है। वहीं कुछ रोहिंग्या हुंडी और हवाला के दौरान पैसों की हेरफेर समेत विभिन्न अवैध व भारत विरोधी गतिविधियों में मौजूद पाए गए हैI
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कई रोहिंग्या मानव तस्करी में भी शामिल पाए गए है। वे बिना किसी दस्तावेज के एजेंटों की सहायता से म्यांमार सीमा पार कर भारत आ गए। यहां पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे भारतीय पहचान पत्र बनवाकर अवैध तरीके से रह रहे हैं।
'केंद्र ने साफ किया कि देश के नागरिकों जैसे अधिकार इन अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को नहीं दिए जा सकते...'
म्यांमार में शुरू हुई रोहिंग्या समुदाय के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई से सैकड़ों महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को अपने घर छोड़ने पर विवश होना पड़ा है।
ऐसे में केंद्र ने यह चिंता भी जताई कि ये रोहिंग्या देश में रहने वाले बौद्ध नागरिकों के विरुद्ध हिंसक कदम उठा सकते हैं। केंद्र ने यह भी परेशानी बताई कि अवैध शरणार्थियों के कारण से कुछ जगहों पर आबादी का अनुपात अव्यवस्थित हो सकता है। इसलिए वे रोहिंग्या शरणार्थी जिनके पास संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें भारत से जाना ही होगा।
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— Zee News Hindi (@ZeeNewsHindi) 18 September 2017
इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है। इस हलफनामें पर जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कोर्ट में एफेडेविट फ़ाइल किया गया है, जो फैसला करना है कोर्ट को ही करना है।
आपको बता दे कि भारत में अवैध रूप से रह रहे म्यामांर के रोहिंग्या समुदाय के लोगों के भविष्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से अपनी रणनीति बताने को कहा था।
सरकार द्वारा रोहिंग्या समुदाय के लोगों को वापस म्यांमार भेजने के फैसले के विरुद्ध याचिका को सुनने के लिए स्वीकार करते हुए सरकार से कोर्ट ने जवाब मांगा था।
मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर दो रोहिंग्या शरणार्थियों (4.1-1) द्वारा पेश याचिका में रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की सरकार की योजना को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन बताया गया है।
भारत में दोनों याचिकाकर्ता संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग में रजिस्टर्ड हैं। इन शरणार्थियों की दलील है कि म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के विरुद्ध व्यापक हिंसा की वजह से उन्हें भारत में पनाह लेनी पड़ी है।
यह मुद्दा बीती जुलाई में गृह मंत्रालय ने रोहिंग्या समुदाय के अवैध अप्रवासियों को भारत से वापस भेजने के लिए राज्य सरकारों को इनकी पहचान करने के निर्देश के पश्चात् चर्चा का विषय बना था।
बता दे कि अपने रुख पर कायम रहने की सरकार द्वारा प्रतिबद्धता जताए जाने के पश्चात् अदालत में यह याचिका दायर की गई थी।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इतेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का बोलना है कि जब तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा को देश में शरण दिया जा सकता है तो रोहिंग्या के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी रोहिंग्या को भारत में बसाने के समर्थन में हैं।
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