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आज़ादी के बाद भारत की राजनीति में भारतीय राष्ट्र...
आज़ादी के बाद भारत की राजनीति में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वर्चस्व अपने चरम पर रहा है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर आज़ादी से लेकर आज तक सिर्फ एक ही परिवार का कब्जा रहा है, जिसकी शुरुआत जवाहर लाल नेहरू से हुई थी। ये आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे। इनकी एक पुत्री थी “इंदिरा” जिसे हम इंदिरा गाँधी के नाम से जानते है।
इस पूरी कहानी में अहम किरदार फिरोज गाँधी का है जो एक पारसी परिवार से सम्बन्ध रखते थे। ये मुंबई के खेतवाड़ी मोहल्ले के नौरोजी नाटकवाला भवन में रहते थे। इंदिरा जी फिरोज से मोहब्बत करती थी जो जवाहरलाल नेहरू जी को पसंद नहीं थी एवं महात्मा गाँधी ने इसके विरुद्ध जा कर इंदिरा और फिरोज का विवाह करवाया और उन्हें अपना उपनाम गांधी दिया। इन दोनों के दो पुत्र हुए राजीव गाँधी और संजय गाँधी।
राजीव गाँधी ने इटली की कैथोलिक ईसाई धर्म की लड़की सोनिया से विवाह किया जिन्हे हम आज सोनिया गाँधी के नाम से जानते है। राजीव और सोनिया के एक पुत्र राहुल गाँधी और एक पुत्री प्रियंका गाँधी हुई।
राजस्थान चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गाँधी अजमेर में ख्वाजा मोईनुदीन चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ा कर, जगतपिता ब्रह्मा जी के मंदिर पुष्कर के लिए रवाना हुए। वहाँ पुजारी द्वारा उनसे जब गोत्र पूछा गया तो उन्होंने बताया की वे “कौल ब्राह्मण” है एवं उनका गोत्र ‘दत्तात्रेय’ है। अंततः विरोधी पार्टियों द्वारा हमेशा से पूछा गए प्रश्न का जवाब उन्होंने दे दिया है।
जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सत्ता में थी तब पूरी कांग्रेस सरकार भगवान राम के अस्तित्व को नहीं मानती थी। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल जी अपने बयान में कहते है कि “जो मंदिर जाते है वो लड़की छेड़ते है”। जब आज उनके पास सत्ता नहीं है तो वे खुद को ब्राह्मण बताकर हिंदूवादी होने का ठोंग रच रहे है।
उपरोक्त लेख में आपने राहुल जी के इतिहास के बारे में पढ़ा है। अब आप स्वयं सोचिये कि वे अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए किस तरह पारसी के वंशज होते हुए भी अपने आप को “कौल ब्राह्मण” बता रहे है।
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