केंद्र की मोदी सरकार ने पशुओं पर हो रही क्रूरता को देखते हुए नियमों में बदलाव किये है। पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त ‘पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017’ को अधिसूचित किया है। इस नियम के बाद पशु बाजार में उनके वध के लिए हो रही खरीद फरोख्त पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।
हालांकि, इससे मांस और चमड़ा व्यापार प्रभवित होने की संभावनाएं जताई जा रही है। इस नियम के तहत पशुओं से जुडी क्रूर परम्पराओं पर भी प्रतिबन्ध लगाने की बात कही गई है। जिसमें उनके सिंगो को रंगना तथा उन पर आभूषण या सजावट के सामान लगाना भी शामिल है।
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री हषर्वर्धन के बताया कि 'नये नियम बहुत "स्पष्ट" हैं और इसका उद्देश्य पशु बाजारों तथा मवेशियों की बिक्री का नियमन है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये प्रावधान पशुओं पर केवल पशु बाजारों तथा संपत्ति के रूप में जब्त पशुओं पर लागू होंगे। उन्होंने कहा कि ये नियम अन्य क्षेत्रों को कवर नहीं करते हैं।'
मंत्रालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना पशु कल्याण के निर्देश के अनुरूप है। इस अधिसूचना के मुताबिक पशु बाजार समिति के सदस्य सचिव को यह ध्यान रखना होगा कि कोई भी शख्स बाजार में अवयस्क पशुओं को बिक्री के लिये न ले जाये।
इसमें कहा गया है कि "किसी भी शख्स को पशु बाजार में मवेशियों को लाने की इजाजत नहीं होगी जब तक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक के द्वारा लिखित घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर न हो और जिसमें से मवेशी के मालिक का नाम,पता और उसकी फोटो पहचान पत्र की एक प्रति भी लगी हो.’ इस सूचना के मुताबिक ‘‘मवेशी की पहचान के विवरण के साथ ही यह भी स्पष्ट करना होगा कि मवेशी को बाजार में बिक्री के लिये लाने का उद्देश्य उसका वध नहीं है.’’
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (6.3-6) ने कहा कि अगर आज उन्होंने पशु वध को प्रतिबंधित किया है तो वे कल मछली खाने पर रोक लगा देंगे।
पिनारई ने मलयालम में किये एक फेसबुक पोस्ट में लिखा कि भाजपा सरकार के इस फैसले के खिलाफ जनता को आवाज उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह देश के "धर्मनिरपेक्ष छवि को खराब करने का प्रयास" है।