मौत का ऐसा सौदागर - जिसकी याद में आज भी नोबेल पुरस्कार दिया जाता है

19 वी सदी के सबसे प्रसिद्द वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल थे। उनका जन्म 21 अक्टूबर 1833 को स्वीडन के स्टॉकहोम में हुआ था।

7 years ago
मौत का ऐसा सौदागर - जिसकी याद में आज भी नोबेल पुरस्कार दिया जाता है

19 वी सदी के सबसे प्रसिद्द वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल थे। उनका जन्म 21 अक्टूबर 1833 को स्वीडन के स्टॉकहोम में हुआ था। वो एक रसायनज्ञ, इंजीनियर एवं वैज्ञानिक थे। उन्होंने डायनामाइट तथा बेलिस्टाइट नामक दो विस्फोटक का अविष्कार किया था। यह एक ऐसा विस्फोटक था, जिसके ब्लास्ट के बाद धुआं नहीं निकलता था।

एक अन्य विस्फोटक के प्रयोग के दौरान 10 दिसंबर 1896 को उनकी मृत्यु हो गयी थी। उनके इस अमूलनीय अविष्कारों के कारण ही लोग उन्हें मौत का सौदागर बुलाते थे। मानव हित से प्रेरित होकर उन्होंने अपने धन को ट्रस्ट को समर्पित कर दिया। जिसके बाद से प्रतिवर्ष भौतिकी, रसायन, शरीर-क्रिया-विज्ञान व्  चिकित्सा,  आदर्शवादी साहित्य तथा विश्वशांति के क्षेत्रों में सर्वोत्तम कार्य करने वाले लोगों को 10 दिसंबर को पुरस्कार दिया जाता है। सन 1901 से ये पुरस्कार देना आरंभ किया गया, जिसे नोबेल पुरस्कार के नाम से जाना जाता है।

Alfred Nobel Biography: जानिए उनकी कहानी

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अल्फ्रेड बेकार के पत्थरों को उड़ाने के लिए कई तरीके सोचते रहते थे क्योंकि उनके पिता इमेनुएल पुल के निर्माण का कार्य करते थेI अल्फ्रेड के सात भाई-बहन थे, लेकिन केवल 3 भाई ही जीवित बच सके। जब वो छोटे थे तब स्वीडन में काम की कमी हो जाने के कारण उनका परिवार रूस के सेंट पीट्सबर्ग चला गया था।


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वहां पर उनके पिता ने कारखाना खोला, जहां पर वह कारखाने में गन पावडर निकालने का काम किया करते थे। जिसे रशियन आर्मी युद्ध के लिए इस्तेमाल करती थी। कुछ समय के बाद वहां गन पावडर की मांग बहुत बढ़ने लगी। जिस कारण अल्फ्रेड नोबेल का परिवार बहुत कम समय में धनवान हो गया और वो अपने भाई बहनों के साथ अच्छे स्कूल में पढ़ने लगे। कुछ ही समय में एल्फ्रेड रसायन विज्ञान में रूचि लेने गए और वो इसमें बहुत अच्छे स्टूडेंट हो गए। इसके अलावा एल्फ्रेड केवल 17 साल की उम्र में अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन और रूसी बोलने में माहिर हो गये थे।

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आगे की पढ़ाई के लिए एल्फ्रेड पेरिस गए। जहाँ उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो नाइट्रो ग्लिसरीन के प्रयोग का एक सुरक्षित तरीका ढूंढने लगे, क्योंकि पहले के समय में इसके प्रयोग का तरीका बहुत खतरनाक था। नाइट्रो ग्लिसरीन की वजह से ही उनके भाई की मृत्यु हो गयी थी। इसलिए वो इस समस्या का हल ढूंढ़ने लगे। उसी समय उनके परिवार को किसी कारण से स्टॉकहोम वापस आना पड़ा।

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उन्होंने सिलिका को नाइट्रो ग्लिसरीन में मिलाकर ऐसा प्रोडक्ट बनाया, जिसे आसानी से सिलेंडरों में भरा जा सकता थाI इससे टेम्परेचर और प्रेशर का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा, जितना की पहले पड़ रहा था। साल 1867 में उन्होंने इसे पेटेंट करवाकर “डायनामाईट” (6.3-8) का नाम दिया था। जो की सामान्य गन पाउडर से पांच गुना ज्यादा पावर फुल थाI विश्व के बड़े-बड़े निर्माण कार्यों में इसका उपयोग होने लगा। इसका उपयोग खदानों में भी किया जाने लगा और कुछ समय में ही अल्फ्रेड विश्व के कई हिस्सों में डायनामाइट की सप्लाय भी करने लगे।

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10 दिसम्बर 1896 को अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु इटली में हुई। अपनी मौत से पहले ही वो अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा करीब 9 मिलियन डॉलर यानि कि 580999500 करोड़ का एक फंड बनाया था। यह राशि स्वीडिश बैंक में जमा थी। अल्फ्रेड की इच्छा थी कि इस जमा राशि के व्याज से हर साल उन लोगों सम्मानित किया गए जो विज्ञान, कला, साहित्य, अर्थशास्त्र और विश्व शांति के लिए कार्य कर रहे है। इसके बाद से नोबेल पुरस्कार का वितरण शुरू किया गया। अल्फ्रेड नोबेल ने विवाह नहीं किया। उन्होंने अकेले ही अपना पूरा जीवन व्यतीत किया। इस तरह Alfred Nobel Inventions और उनका हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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