पांच दशक पहले दिया गया साधू का श्राप कैसे इंदिरा गांधी, कांग्रेस और नरेंद्र मोदी के लिए हो गया सच?

5 years ago
पांच दशक पहले दिया गया साधू का श्राप कैसे इंदिरा गांधी, कांग्रेस और नरेंद्र मोदी के लिए हो गया सच?

7 नवंबर 1966 को धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज ने गौ हत्या को बंद करने के लिए एक संसद का घेराव  किया था जिससे निपटने के लिए तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने निहत्थे आंदोलनकारियों पर गोलियां चलवा दी थी। इस आंदोलन में भारत के जैन और हिन्दू धर्म से संबंधित संत समाज के बहुत सारे लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

इस आंदोलन का नेतृत्व श्री हरि नारायण ओझा (करपात्री जी महाराज) ने किया था जिनका जन्म 1907 में हुआ था। ये एक महान संत, स्वतंत्रता सग्राम सेनानी भी थे। दीक्षा के बाद इनका नाम “हरिहरानन्द सरस्वती” था, पर ये करपात्री महाराज के नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्होंने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद का स्थापना की थी। इन्होंने गौ हत्या को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किये, यहाँ तक कि इन्होंने गौ हत्या बंद करने के लिए कई आंदोलन किये और इन्हीं आन्दोलनों में से एक था 1966 का चर्चित संसद का घेराव।

लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन के बाद इंदिरा गाँधी का सरकार का बनना बेहद ही मुश्किल था तब इंदिरा गाँधी ने स्वामी करपात्री जी महाराज से एक वादा किया कि अगर हम सरकार बनाते है तो देश में चल रहे गाय के सभी कत्लखानों को बंद कर के गौ हत्या पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा देगी और करपात्री जी महाराज की मदद से वो चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बन गई। पर कम्युनिस्टों और मुसलमानों के दबाव में आकर वो अपने वादे से मुकर गयी।

इस बात को जानकर करपात्री जी महाराज ने लाखों संत, पूरा साधु-समाज, सनातन धर्म, जैन धर्म जैसे सभी धार्मिक संगठनों को मिलाकर एक आंदोलन खड़ा किया और सबने मिलकर 7 नवंबर 1966 को गोपाष्टमी के दिन संसद का घेराव कर दिया। इस आंदोलन से निपटने के लिए इंदिरा गाँधी ने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दे दिया जिसमे सैकड़ों संतो की जान चली गयी है।

जब करपात्री जी महाराज उन सभी संतो की लाश को उठा रहे थे तब उन्होंने इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी को श्राप दिया की ”मैं कांग्रेस को श्राप देता हूं कि एक दिन हिमालय में तपस्या कर रहा एक साधु आधुनिक वेशभूषा में इसी संसद को कब्जा करेगा और कांग्रेसी विचारधारा को नष्ट कर देगा। यह एक सच्चे औऱ असली ब्राह्मण का श्राप है।” इस नरसंहार से आहत करपात्री जी महाराज ने इंदिरा गाँधी को भी श्राप दिया की जिस तरह तुमने गौ सेवको पर गोलियाँ चलवाई वैसे ही तुम भी मरोगी।

आप इसे संयोग कहे या उस श्राप का फलीभूत होना इंदिरा गाँधी का देहांत भी उसी तरह से उसी गोपाष्टमी को हुआ जिस तरह से उन गौ सेवको को गोपाष्टमी के दिन मारा था। आज आप सभी इस बात से परिचित होंगे ही कि देश में कांग्रेस की क्या स्थिति हो गयी है। कांग्रेस का वर्चस्व मानो खत्म ही हो गया है और इस वर्चस्व को खत्म किया है उस नरेंद्र मोदी ने जिसका कुछ वक़्त हिमालय में बीता है।

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