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रैन्समवेयर वानाक्राइ ने दुनिया के 150 देशों में 3 ल
रैन्समवेयर वानाक्राइ ने दुनिया के 150 देशों में 3 लाख से भी अधिक कम्प्यूटर्स को प्रभावित किया है। कहा जा रहा है कि इसके पीछे उत्तर कोरिया का हाथ हो सकता है। दरहसल साइबर सुरक्षा से जुड़े शोधकर्ताओं को इससे जुड़े कुछ तकनीकी सबूत मिले हैं। विशेषज्ञों के मुताबित मौजूदा सबूतों के आधार पर इस साइबर हमले का संबंध उत्तर कोरिया से जोड़ कर देखा जा रहा है।
सोमवार के दिन सिमेंटेक और केस्परस्काई लैब द्वारा जानकारी दी गयी कि वानाक्राइ सॉफ्टवेयर के एक पूर्व वर्ज़न में जो कोडिंग इस्तेमाल की गई थी, उसके कुछ कोड्स का इस्तेमाल लैजरस ग्रुप ने अपने कुछ प्रोग्राम में भी किया था। विश्व के कई साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि लैजरस असल में उत्तर कोरिया का हैकिंग ऑपरेशन है।
केस्परस्काई के एक शोधकर्ता ने रॉयटर्स से बात करते हुए कहा,
'वानाक्राइ कहां से आया और किसने इसे बनाया, इससे जुड़ा यह सबसे अहम सबूत है।'
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— Neel Mehta (@neelmehta) 15 May 2017
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इसके अलावा दोनों कम्पनीज यह भी कह रही है कि इन ताजा साइबर हमलों के पीछे उत्तर कोरिया का ही हाथ है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। आपको यह भी बता दे कि गूगल के सिक्यॉरिटी रिसर्चर नील मेहता ने भी इससे जुड़े कुछ साक्ष्यों को ट्विटर पर शेयर किये थे।
रैन्समवेयर वानाक्राइ (6.1-3) साइबर हमला शुक्रवार को शुरू हुआ था, लेकिन सोमवार के दिन इसके हमले के बारे में बहुत कम सुनने को मिला है। आखिर यह वायरस कहा से आया है इसके लिए दुनिया भर के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ शोध में लगे हैं। इस रिसर्च को लेकर सुरक्षा एजेन्सिया भी अपनी नजर लगाई बैठी है।
कल वॉशिंगटन में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के होमलैंड सुरक्षा सलाहकार ने बताया कि इस वानाक्राइ अटैक के पीछे विदेशी ताकत और साइबर अपराधियों तक का हाथ हो सकता है। हालाँकि सिमेंटेक और केस्परस्काई लैब का कहना है कि उन्हें वानाक्राइ की कोडिंग को पढ़ने के लिए अभी और पर्याप्त समय चाहिए। हैकर्स कई बार अपने पुराने ऑपरेशन्स में जो कोड लिखते है उसका इस्तेमाल दोबारा करते है। ऐसे में यही कोडिंग्स सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए सबूत की तरह काम करती है।
Stay safe from #Ransomware Cyber threats. Watch expert Scientists of @GoI_MEITY sharing important safety tips. https://t.co/i2hKrpBdmf
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) 15 May 2017
दुनिया भर में कई लोग रैंसमवेयर से प्रभावित है लेकिन भारत सरकार का कहना है कि इस साइबर हमले का भारत पर कोई गंभीर असर नहीं हुआ है। लेकिन केरल व आंध्र प्रदेश में इसके कुछ छिटपुट मामले देखने को मिले है। इसके साथ ही सरकार ने यह भी बताया कि भविष्य में ऐसे किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है।
सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद (6.1-2) ने कहा कि; “भारत पर अन्य देशों जैसा कोई बड़ा असर नहीं हुआ है. हम करीबी निगरानी रखे हुए हैं. अब तक मिली सूचना के अनुसार केरल व आंध्र प्रदेश के कुछ सीमित इलाकों में छिटपुट मामले सामने आए हैं”
फिलहाल भारत इस साइबर हमले को लेकर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ संपर्क साधे हुए है। मालवेयर को साफ किया जा रहा है इसके अलावा साइबर हमलों से बचने के लिए नियमित रुप से साइबर जांच पडताल भी जारी है।
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