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पर्यावरण मंत्री अनिल माधव का निधन; मोदी बोले उनका जाना मेरे लिए निजी क्षति

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे जी...

7 years ago
पर्यावरण मंत्री अनिल माधव का निधन; मोदी बोले उनका जाना मेरे लिए निजी क्षति

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे जी का देहांत बीते कल रात को हो गया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने उनके देहांत पर शोक व्यकत करते हुए अशंतोष प्रकट किया है। अनिल माधव दवे 61 साल के थे| काफी समय से बीमार रहने के कारण वे एम्स में भर्ती थे| दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मृत्यु हुई है|

आपको बतादे की अनिल माधव जी जुलाई 2016 में सेंट्रल मिनिस्टर में पर्यावरण मंत्री बने थे। और उनके इस कार्यकाल को एक साल भी पूरा नहीं हुआ था। और वह अब हमारे बीच में नहीं रहे है। दवे जी मध्यप्रदेश में बीजेपी के सबसे बड़े चहेरे के रूप में थे।  

शुक्रवार को होगा अंतिम संस्कार, मोदी होंगे शामिल

Source = Dnaindia

अनिल माधव दवे जी का अंतिम संस्कार शुक्रवार को इंदौर में किया जायेगा| उनके इस अंतिम शवयात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस संघ के प्रमुख मोहन भागवत और अनके नेता भी शामिल हो सकते है। अनिल दवे जी के शव को अभी अंतिम दर्शन के लिए उनके सरकारी आवास में रखा गया है। जहां पर उनके शव को लोग अंतिम दर्शन कर सके।


नरेंद्र मोदी जी ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया

नरेंद्र मोदी जी ने अनिल दवे के निधन पर दुख जताया और अपने ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट कर के कहा;


“दोस्त और एक आदर्श साथी के तौर पर अनिल माधव दवे जी की मौत से दुखी हूं. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे. लोक हित के काम के लिए दवे जी को याद रखा जाएगा. कल शाम ही वे मेरे साथ थे. हमने कुछ पॉलिसी इश्यू पर चर्चा भी की थी. उनका जाना मेरे लिए निजी क्षति है”

अनिल माधव की थी अंतिम इच्छा

पर्यावरण मंत्री के देहांत के बाद उनकी एक अंतिम इच्छा का पता चला है| उन्होंने यह इच्छा 23 जुलाई 2012 को ही लिख दी थी| आइये देखते है की दवे ने अपनी अंतिम इच्छा में क्या बाते लिखी है:-

  • संभव हो तो मेरा अंतिम संस्कार बाद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर किया जाये.
  • उत्तर किया के रूप में केवल वैदिक कर्म ही हो, किसी भी प्रकार का दिखावा, आडंबर ना हो.
  • मेरी स्मृति में कोई भी स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिमा ना बनाई जाए.
  • जो मेरी स्मृति में कुछ करना चाहते हैं वे कृप्या वृक्षों को बोनें व उन्हें संरक्षित कर बड़ा करने का कार्य करें, तो उन्हें खुशी होगी. उन्होंने लिखा कि ऐसा करते हुए भी मेरे नाम का इस्तेमाल ना करें.

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