चार यूरोपीय देशों के दौरे पर निकले पीएम मोदी कल रूस पहुंचे। वहां उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सेंट पीट्सबर्ग में मुलाकात की। मुलाकात के बाद प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मोदी जी ने अपने पुराने दिनों की बात को शेयर की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा देश का प्रधानमंत्री बनाना मेरे लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के एक माह के अंदर ही वो रूस की यात्रा पर आये थे।
मोदी ने
कहा जब मै
16 साल पहले यहाँ
पर प्रतिनिधिमंडल के
हिस्सा बनकर रूस
आया था। तब
पूर्व प्रधानमंत्री अटल
बिहारी वाजपेयी और राष्ट्रपति
पुतिन यहाँ पर
खड़े थे और
मै एक मुख्यमंत्री
के रूस में
एक समझौते पर
हस्ताक्षर कर रहा
था। मोदी ने
कहा कि आज
मुझे प्रधानमंत्री के
रूप में यहाँ
पर खड़े होने
का गौरव मिला
है।
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने
बताया है कि
दोनों देश के
बीच 5 बड़े मुद्दों
पर संयुक्त हस्ताक्षर
किये है। इस
मोके पर मोदी
जी ने बताया
है कि रूस
के साथ भारत
का रिश्ता आदर
का है और
आने वाले समय
में भी रहेगा।
साक्षा घोषणापत्र को जारी
करते हुए मोदी
ने कहा कि
आर्थिक संबंधों में तीव्र
प्रगति देना भारत
और रूस का
साझा उद्देश्य है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन दोनों महान लीडर्स की इस दौरे पर कुछ अलग ही केमिस्ट्री देखने को मिल। यह दोनों बहुत समय तक साथ घूमे और एक दूसरे से बातचीत करते हुए नज़र आए। इस मोके पर दोनों नेता एक दूसरे से काफी हंसी मजाक भी कर रहे थे।
रूस ने भारत को विस्तृत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए इसमें भारत को उम्मीदवार और नुक्लेअर सप्लायर समूह (एनएसजी) और नुक्लेअर वेपन्स अप्रसार की अन्य योजना में इसकी सदस्या के लिए शक्तिशाली समर्थन की बात को कहा है।
बातचीत के दौरान दोनों देश के नेताओ ने ब्रिक्स, डब्ल्यूटीओ, जी 20 और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और रूस-भारत-चीन सहयोग जैसे बहुपक्षीय मंचों पर अपना सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की वार्ता के बाद एक दृष्टि पत्र जारी करते हुए कहा "विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी के प्रति अपने पुरजोर समर्थन को रूस दोहराता है." रूस ने 48 सदस्यीय एनएसजी में भारत के प्रवेश की कोशिश का समर्थन करते हुए कहा कि वह इस बात से सहमत है कि बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भारत की भागीदारी उन्हें बेहतर बनाने में योगदान देगा।
घोषणापत्र में कहा गया है कि इस परिप्रेक्ष्य में रूस एनएसजी और वासनर व्यवस्था में सदस्यता के लिए भारत की अर्जी का स्वागत करता है तथा इन नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत को यथाशीघ्र शामिल करने के अपने ठोस समर्थन की बात दोहराता है।
चार बड़ी निर्यात नियंत्रण व्यवस्था- एनएसजी, एमटीसीआर, आस्ट्रेलिया ग्रुप और वासनर अरेंजमेंट,में भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का सदस्य है। इसने पिछले साल एनएसजी की सदस्यता के लिए अर्जी दी थी लेकिन उसे चीन के सख्त विरोध का सामना करना पड़ा। भारत ने हाल ही में अपनी निर्यात नियंत्रण सूची को वासनर व्यवस्था जैसी एक व्यवस्था से जोड़ा है।
शिखर बैठक में दोनों देशों ने चीन की 'वन बेल्ट वन रोड' (ओबीओआर) परियोजना का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा कि वे एकपक्षवाद का किसी तरह का सहारा लेने या संप्रभुता का सम्मान नहीं किए जाने तथा देशों की मुख्य चिंताओं और न्यायोचित हितों को नजरअंदाज करने का विरोध करेंगे।
इस परियोजना का भारत के विरोध करने की मुख्य वजह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) है जो ओबीओआर का हिस्सा है। दरअसल, सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है।
इस शानदार मौके पर
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि "रूस भारत के सभी हितों का सम्मान करता
है।भारत एक सप्ताह में शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) का पूर्ण रूप से सदस्य
बन जाएगा।" पहली बार रूस और भारत के शिखरवार्ता मॉस्को से बाहर सेंट पीटर्सबर्ग
में हो रही है।
मोदी ने पुतिन के साथ
बातचीत में सुबह द्वितीय विश्व युद्ध (6.4-8) के शहीदों के स्मारक के अपने दौरे का जिक्र करते
हुए कहा "आप ऐसे नेता हैं जिसके परिवार ने बलिदान दिया. आपके भाई ने शहादत दी
थी।" इस विश्व युद्ध के लेनिनग्राड हमले में 70 साल पहले पुतिन के भाई इसमें मारे
गए थे।