सिपाही सीताराम ने अकेले रोक दी देश की सबसे बड़ी बैंक डकैती

हमलोग अपनी आम बातों में अक्सर पुलिस का मज़ाक उड़ाते रहते हैं, कई बार उन्हें घूसखोर और भ्रष्टाचारी भी बता देते हैं। परन्तु हमें यह सोचना चाहिए कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। हर क्षेत्र में अच्छे बुरे लोग मिल जाते हैं। ये समस्या सिर्फ पुलिस विभाग की नहीं है। पुलिस में अगर बुरे लोग हैं तो अच्छे लोग भी हैं और इन्हीं में से एक हैं राजस्थान के राजधानी जयपुर के रहने वाले कॉन्स्टेबल सीताराम जी। 

राजस्थान के जयपुर शहर में देसी-विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। इसे भारत में घूमने की सबसे बेहतर जगहों में से एक माना जाता है। इसी शहर में एक जगह है सी-स्कीम, इसी सी स्कीम नाम की जगह में कल यानी 6 फ़रवरी की रात जो हुआ, उसे एक ऐतिहासिक घटना के तौर पर बताया जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। ऐसा इसलिए नहीं कहा जा रहा कि कुछ बहुत बड़ा हुआ है, बल्कि ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एक अकेले सिपाही की यादगार बहादुरी ने एक बहुत बड़े आपराधिक कांड को होने रोक दिया।

अगर वो अकेला सिपाही वहां ना होता और अपराधियों के खिलाफ खड़ा नहीं होता तो इस आपराधिक वारदात को देश के इतिहास की सबसे बड़ी चोरी करार दिया जाता। ये आपराधिक चोरी अगर हुई होती तो ये 926 करोड़ रुपये की होती। इसी बड़ी चोरी की वारदात को कॉन्स्टेबल सीताराम की एक गोली ने होने से बचा लिया। 

जयपुर शहर के सी-स्कीम के अंदर आने वाले रमेश मार्ग रोड पर एक एक्सिस बैंक का दफ्तर मौजूद है। राजस्थान राज्य के सभी ब्रांच में इसी दफ्तर से पैसे पहुंचाए जाते हैं। वैसे तो एक्सिस बैंक के इस दफ्तर में 650 करोड़ रुपये तक रखने की अधिकतम सीमा है, परन्तु 6 जनवरी की रात को बैंक में करीब 926 करोड़ रुपये आ गए थे। 

इतनी बड़ी रकम के होने के बाबजूद इस बैंक की सुरक्षा व्यवस्था के लिए रात में सिर्फ चार लोग ही तैनात थे। इस बैंक का मुख्य गार्ड प्रमोद मुख्य द्वार पर चौकीदारी कर रहा था, वहीं दो दूसरे सिपाही रतिराम तथा मानसिंह रेस्टरूम में मौजूद थे, जबकि एक तीसरा सिपाही सीताराम बैंक के चारो तरफ गश्त लगा रहा था।

सिपाही सीताराम के मुताबिक़ बैंक में उनकी ड्यूटी का वक़्त रात को 2 बजे से शुरू होना था। अपने ड्यूटी टाइम के तय वक्त पर सीताराम बैंक पहुंचा। रात के करीब ढाई बजे थे तभी सिपाही सीताराम ने बैंक के मुख्य द्वार से किसी को कूदकर अंदर की तरफ जाते देखा, इसके साथ साथ सिपाही ने कुछ टूटने की आवाज़ भी वहां पर सुनी। 

सीताराम ने इसके बाद चिल्ला कर पूछा कौन है पर दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला, इसके बाद सीताराम ने बाहर झांक कर देखा। बाहर देखने पर पता चला कि चार-पांच लोग अंदर आ चुके हैं जिनके पास हथियार भी हैं। जब उसने बाहर आकर देखा तो लोगो की संख्या 10 से भी ज्यादा दिखाई पड़ी। सभी हथियार धारी लोगों के चेहरे बिलकुल ढके हुए थे और साथ हीं बैंक बिल्डिंग का चैनल गेट भी खुला हुआ था।  

यह सब देखने के बाद सीताराम को क्या करे कुछ समझ नहीं आ रहा था। आखिरकार सीताराम ने अपनी सरकारी बंदूक से एक आसमानी फायर कर दी। इस फायर की आवाज़ के थोड़ी ही देर के बाद बैंक के अंदर अफरा-तफरी मच गई और बदमाश वहां से भाग गए। इसी दौरान सिपाही सीताराम ने कंट्रोल रूम में फोन कर दिया, फोन करने के पांच मिनट के अंदर पुलिस की टीम बैंक पहुंच गई।

सीसीटीवी फुटेज में दिखे बदमाश

Source =Amarujala

इस पूरी घटना के प्रकाश में आने के बाद पुलिस ने इसकी जांच शुरू की। जांच में पता चला कि अपराधी कुल 13 की संख्या में वहां आये थे, इनमे से चार अपराधियों के हाथों में हथियार भी थे। वो सारे अपराधी एक इनोवा गाड़ी में वहां आए थे, ये इनोवा गाड़ी राजस्थान के ही नागौर जिले की थी। अपराधी अपने साथ अनाज रखने वाले चार बोरे ले कर आये थे, ये बोर लुटे हुए पैसे रखने के लिए लाये गए होंगे। 

अपराधियों ने मुख्य द्वार पर मौजूद बैंक के गार्ड प्रमोद पर बंदूक तान कर उसके हाथों को बांध दिया था। गार्ड प्रमोद पर काबू पा कर जैसे ही अपराधी बैंक के लॉकर की तरफ जाने वाले थे तभी सिपाही सीताराम की चिल्लाने की आवाज़ गुंजी और तुरंत उसने फायरिंग भी कर दी, इसी फायरिंग के कारण अपराधी वहां से डर के भागने को मजबूर हो गए।

खतरनाक हथियारों से लेस अपराधियों के द्वारा बैंक में रखे 926 करोड़ रुपये लूटना बहुत आसान होता, और अगले दिन देश भर की अखबारों में ये खबर सुर्खियां बन जाती। परन्तु सीताराम ने अपनी सरकारी बंदूक से गोली चला कर बैंक को लूटने से बचा लिया।

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