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कनाडा के प्रधानमंत्री भारत की यात्रा पर हैं। 17 फर...
कनाडा के प्रधानमंत्री भारत की यात्रा पर हैं। 17 फरवरी से शुरू हुई ये यात्रा हफ्ते भर तक भारत के अलग अलग शहरों में चलती रहेगी। इस यात्रा के लक्ष्यों के बारे में कहा जा रहा है की इससे दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत किया जायेगा। कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो 2015 में सत्ता सम्हालने के बाद पहली बार भारत के दौरे पर हैं। पर ऐसा क्यों हुआ की अपने पहले भारत दौरे पर भी उनका स्वागत भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नहीं किया। स्वागत तो छोड़ो ट्रूडो के दौरे का दूसरा दिन खत्म होने को है और अभी तक मोदी जी ने उनके लिए एक ट्वीट भी नहीं किया है।
ऐसी बेरुखी आखिर क्यों दिखाई जा रही है ? वो मोदी जिन्हे विदेशी मेहमानों का प्रोटोकॉल तोड़ कर स्वागत करने के लिए और गर्मजोशी से गले लगाने के लिए जाना जाता हैं उनके द्वारा ऐसी बेरुखी गले नहीं उतरती। स्वागत तो दूर की बात मोदी जी जो आम तौर पर ट्विटर पर भी बहुत एक्टिव रहते हैं वहां भी ट्रूडो का स्वागत नहीं किया। आखिर क्या कारण हो सकता है इतनी बेरुखी का !
कारण है और बड़ा हीं व्यापक कारण है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खुले तौर पर अलग अलग मंचों से भारत विरोधी ताक़तों का समर्थन करते नजर आये हैं। उनके खुद के मंत्रालय में खालिस्तान समर्थक मंत्री बने बैठे हैं जो पंजाब को भारत से अलग कर के नया देश खालिस्तान बनाने के पक्षधर है। प्रधानमंत्री मोदी अपनी इस बेरुखी से कूटनीतिक संदेश पूरे विश्व को देना चाहते हैं की भारत विरोधी ताक़तों को समर्थन देने वालों से भारत ऐसे हीं बर्ताव करेगा।
विश्व के तमाम राजनैतिक विश्लेषकों ने मोदी जी के कूटनीतिक कदम को समझा भी और इस पर विश्लेषण करना भी शुरू कर दिया है। ये विश्लेषण होना हीं था क्योंकि पिछले दिनों मोदी ने कई वैश्विक नेताओं का स्वागत प्रोटोकॉल तोड़ कर किया था, इनमें इजराइल और ईरान के राष्ट्राध्यक्ष मुख्य थे।
प्रधानमंत्री मोदी हीं नहीं बल्कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भी खुलेआम जस्टिन ट्रूडो के मंत्रालय के कुछ मंत्रिओं पर खालिस्तानी विचारधारा से प्रेरित होने का आरोप लगाया पिछले साल हीं लगाया था । ट्रूडो मंत्रालय के इन मंत्रियों के लिंक बहुत सारे खालिस्तानी आतंकियों से भी बताये गए हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री के साथ भारत आये दल में भी कई ऐसे खालिस्तान समर्थक मंत्री शामिल हैं। ऐसे में मोदी जी का ये कदम भारतीय दृष्टिकोण से अच्छा हीं माना जाना चाहिए।
ये बेरुखी सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के तरफ से हीं नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तरफ से भी देखने को मिली है। जब कनेडियाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपने परिवार के साथ उत्तरप्रदेश के आगरा शहर ताजमहल देखने आये तो मुख्यमंत्री योगी उनके स्वागत के लिए मौजूद नहीं थे जबकि कुछ दिन पहले जनवरी महीने में जब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजीमन नेतन्याहू अपनी पत्नी के साथ ताजमहल देखने आगरा पहुंचे थे तो योगी ने उनका स्वागत खुले दिल से किया था।
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