कालाधन: स्विस बैंक के खातों पर मोदी ने कसा शिकंजा, अगले साल से भारत को मिलेगी जानकारी

स्विट्जरलैंड ने भारत के अलावा अन्य 40 देशों के साथ बैंकिंग सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था को मंजूरी दे दी है। वित्तीय सूचनाओं का स्वचालित तरीके से आदान-प्रदान 2019 के वसंत से शुरू होगा। स्विटरजरलैंड की संघीय परिषद ने इसकी मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी का मतलब यह है कि अब इसके लिए किसी भी तरह के जनमत की जरुरत नहीं होगी। साथ ही इसके लागु हो जाने से देश के बाहर काला धन जमा करने पर भी अंकुश लगेगा। इस व्यवस्था का लाभ लेने के लिए सभी देशों को गोपनीयता और सुचना की सुरक्षा के कठोर नियमों का अनुपालन करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी समय से इस तरह की व्यस्था को लागु करने के लिए सभी देशों से चर्चाओं में लगे हुए थे।

2019 में शुरू होगी व्यवस्था

Source =Aajtak

स्विट्जरलैंड सरकार ने इस व्यवस्था को साल 2018 से संबंधित सूचनाओं के साथ शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए आंकड़ों के आदन प्रदान की शुरूआत 2019 में होगी। स्विट्जरलैंड की संघीय परिषद सूचनाओं के आदान प्रदान की व्यवस्था शुरू करने की तिथि की सूचना भारत को जल्द ही देगी। परिषद द्वारा इस संबंध में स्वीकृत प्रस्ताव के मसौदे के अनुसार इसके लिए वहां अब कोई जनमत संग्रह नहीं कराया जाना है। इससे इसके लागू किए जाने में विलम्ब की आशंका नहीं है।

मार्च में दी थी चेतावनी  

स्विट्जरलैंड ने इसके पहले मार्च में चेतावनी देते हुए कहा था कि इस व्यवस्था के तहत अगर कोई भी देश सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की गोपनीयता की शर्त को भंग करता है तो वो सुचना देने के व्यवस्था को निलंबित भी कर सकता है। स्विट्जरलैंड के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मामलों के विभाग एसआईएफ ने एक बयान में कहा था कि घरेलू वित्तीय संस्थाएं पहली बार इस साल आंकड़े एकत्रित कर रही हैं।

एसआईएफ ने कहा था कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सूचनाएं गलत हाथों में ना पड़ें या उनका दुरुपयोग ना हो। विभाग ने कहा, स्विट्जरलैंड उन सभी देशों और क्षेत्रों के साथ कर-संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान करने को सैद्धांतिक रूप से तैयार है जो संबंधित शर्तों को पूरा करते हैं। इस दृष्टि से इस अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सूचनाओं की गोपनीयता और सुरक्षा महत्वपूर्ण बात है।

भारत ने उठाया था मुद्दा

पिछले कई समय से भारत में काले धन (5.4-6) का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। साथ ही यह धारणा बनी हुई है कि बहुत सारे भारतीय लोगों ने अपनी काली कमाई स्विट्जरलैंड के गुप्त बैंक-खातों में छिपा कर रखी है। भारत विदेशी सरकारों, स्विट्जरलैंड जैसे देशों के साथ अपने देश के नागरिकों के बैंकिंग सौदों के बारे में सूचनाओं के आदान प्रदान की व्यवस्था के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर जोरदार प्रयास करता आ रहा है।

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