नोटबंदी के बाद कैश लेनदेन पर 150 करोड़ के सॉफ्टवेयर से निगाह रख रहा आयकर विभाग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे पुरे भारत के सामने नोटबंदी का फैसला सुनाया था। जिसे वैश्विक स्तर पर एक बहुत बड़ा बदलाव माना गया था। हालांकि इस वजह से आम जनता तो तकलीफों का सामना भी करना पड़ा था, परन्तु मोदी जी अपील को देशवासिओं ने स्वीकार किया और अब इसका फायदा भी मिलता दिखाई दे रहा है।   

दरअसल, नोटबंदी के दौरान और उसके बाद भी बड़ी राशि में कैश लेन-देन करने वालो के ऊपर अभी भी आयकर विभाग की कड़ी नजर है। मालूम हो कि पिछले साल 8 नवंबर से अब तक छह माह में आयकर विभाग द्वारा देश भर के लेनदेन की 350 करोड़ से ज्यादा सूचनाएं एकत्र कर ली गयी है। अभी इन सूचनाओं की स्क्रूटनी की जा रही है।

आयकर विभाग ने तैयार किया 150 करोड़ का सॉफ्टवेयर

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विभाग के पास मौजूदा सॉफ्टवेयर से यह स्क्रूटनी संभव नहीं है। इसके चलते विभाग ने 150 करोड़ में विशेष सॉफ्टवेयर तैयार करा लिया है। यह सॉफ्टवेयर एलएंडटी कंपनी से बनवाया गया है। इस सॉफ्टवेयर में सभी सूचनाओं की एंट्री की जा रही है। इससे जांच में यह बात पता पड़ेगी कि किसी व्यक्ति ने लेन-देन किया है तो उसमें पैन नंबर है कि नहीं, रिटर्न उसका बड़ी राशि को कैश में खर्च करने लायक है या नहीं।

गड़बड़ी मिलने पर बीते सालो का रिटर्न भी जांचा जायेगा

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किसी भी व्यक्ति ने पैन नंबर या फिर अन्य तरीके से कितना कैश लेन-देन किया है। इन्ही जानकारी के आधार पर सूचि तैयार की जा रही है। इसके बाद इसी आधार पर, इस साल भरे जाने वाले आईटी रिटर्न को क्रॉस चेक किया जाएगा। यदि सॉफ्टवेयर द्वारा इन दोनों जानकारियों में कोई अंतर मिलता है तो संबंधित करदाता का बीते सालों का रिटर्न भी खोलकर फिर जांचा जाएगा।

इंदौर में तीन हजार से ज्यादा नोटिस जारी

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नोटबंदी के दौरान बैंकों में राशि जमा करने वालों की मिली सूचनाओं को आयकर विभाग (6.1-1) ने तीन कैटेगरी में विभाजित कर दिया है।



इसी आधार पर सभी को नोटिस जारी किया गया है और उनसे राशि का ब्योरा मांगना शुरू कर दिया है। आपको बता दे कि अब तक इंदौर में भी तीन हजार से ज्यादा नोटिस जारी हो चुके हैं।


सोशल मीडिया की भी ले रहे है मदद

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आयकर विभाग सुचना निकालने के लिए हर स्तर पर काम कर रहा है। इसके लिए विभाग सोशल मीडिया का भी सहारा ले रहा है। यदि किसी ने फेसबुक पर अपना रईसी अंदाज दिखाते हुए महंगे घर, लक्जरी कार, महंगी ज्वैलरी आदि दिखाया है तो उससे भी आयकर विभाग नोटिस देकर जानकारी मांग रहा है। 

सीए अभय शर्मा कहते हैं कि "विभाग के पास करदाता के हर व्यवहार की जानकारी है तथा अब कर चोरी करने वालों को विभाग बख्शने के मूड में नहीं दिख रहा है। इसलिए करदाता हर लेन-देन का रिकॉर्ड रखें, जिससे जवाब देना आसान रहे।"

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