नासा ने अंतरिक्ष से देखी ॐ आकर की ओमवेली, बोले हर हर महादेव

मध्यप्रदेश में ऐतिहासिक स्थलों की कोई कमी नहीं है। हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों को यहाँ कुछ ऐसा देखने को मिला। जिससे उनकी आंखे खुली की खुली रह गई है। यह घटना मध्यप्रदेश के भोजपुर में स्थित शिव मंदिर की है। यह मंदिर एक हज़ार वर्ष पुराना है। इस मंदिर के बारे में नासा के वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा देखा जो उन्हें यहाँ आने से रोक नहीं सका। 

राजा भोज की नगरी भोजपुर और मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इस ऐतिहासिक जगह की वर्षों से छिपे हुए एक प्राचीन रहस्य का सच सबके सामने आया है। इस रहस्य के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां पर हज़ारो साल पुरानी एक ओमवैली है। यह ओमवैली मानसून के समय सम्पूर्ण आकार में आ जाती है। मौसम विभाग के मुताबिक एक या दो दिन का मानसून भोपाल को तरबतर कर देता है। राजधानी में मानसून के पहुंचते ही यह ओमवैली अपने पूरे आकार में निकलकर सामने आ जाती है। उन्होंने बताया कि यहां पर मौजूद हरियाली को बढ़ाने के साथ ही जलाशय भरने के बाद यह ओमवैली की तस्वीर सामने आती है। इस ओमवैली में ॐ का चित्र बना हुआ दिखाई देता है। 

सैटेलाइट की मदद से जब इस जगह की कुछ तस्वीर ली गई है। तब इस बात की पुष्टि हुई कि ॐ के मध्य में भोजपुर का मंदिर स्थित है। भोजपुर में भगवान शिव का मंदिर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 28 किलोमीटर की दूरी पर है। नासा के वैज्ञानिक ने बताया है कि भोपाल शहर स्वास्तिक के आकार की तरह में बसाया गया था। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिक उस समय ओमवैली का ग्राउंड डाटा लेते हैं। जब सैटेलाइट भोपाल शहर से गुजरता है। यह डाटा 24 दिनों के अंतर में लिया जाता है। जब सैटेलाइट भोपाल शहर के ऊपर से गुजरता है और उस समय सैटेलाइट ने गेहूं की खेती वाली जमीन की कुछ तस्वीर ली है। तो उस समय इस रहस्य का पता चला था।

गूगल मैप पर आप भी देखें

Source =Dakhal

सैटेलाइट की मदद से भोजपुर में स्थित शिव मंदिर की कुछ तस्वीर ली गई। तब इन तस्वीरों में कुछ अनोखा देखने को मिला है। इस तस्वीर में बड़ा सा ॐ दिखाई दे रहा था। जो सदियों पुरानी ओमवैली है। आसमान से यह ओमवैली ठीक तरह से दिखाई देती है। इस ओमवैली के सेंटर में एक हज़ार वर्ष पुराना भगवान शंकर का मंदिर स्थापित है। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में ओमकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के पास भी ऐसी ही प्राकृतिक को आसमान से देखा जा सकता है। इस प्रकार की खोज पर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ओमवैली है। वैज्ञानिकों ने इसके ऊपर गहन रिसर्च करने का जिम्मा सैटेलाइट डाटा केलिबरेशन और वैलिडेशन का काम मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद को दिया है।

राजा भोज के समय ग्राउंड मैपिंग कैसे हुई यह रिसर्च का विषय

भारत के इतिहासकारों का मानना है कि भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए ज्योमेट्री के तरीके से बसाया गया था। इस शहर को राजा भोज ने अपने निर्देश से सारी चीज़े संभव करवाई थी। राजा भोज एक साधारण राजा थे। लेकिन उन्हें अनेक विषयों का विद्वान कहा जाता था। उन्होंने भाषा, नाटक, वास्तु, व्याकरण समेत अनके विषयों पर 60 से ज्यादा किताबें लिखी है। राजा भोज के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने वास्तु पर लिखी समरांगण सूत्रधार के आधार पर भोपाल शहर को बसाया था। गूगल मैप से भी यह डिजाइन आज भी वैसा ही देखा जा सकता है।

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के आर्कियोलॉजिस्ट्स का कहना है कि ओम की संरचना और शिव मंदिर का रिश्ता बहुत ही पुराना है। जहां पर भगवान शंकर का मंदिर है। उसके आसपास ओम की संरचना बहुत जरुरी होती है। इससे नजदीकी उदाहरण है ओंकारेश्वर का मंदिर है। 

प्राचीन समय में राजा भोज (5.1-4) के समय में ग्राउंड मैपिंग किस तरह से होती थी। इसके लिए अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है। इसके ऊपर रिसर्च करे तो यह विषय बहुत ही रोचक बन जाएगा। सैटेलाइट की तस्वीर से यह स्पष्ट हो गया है कि राजा भोज ने भगवान शंकर का मंदिर बनवाया है वह मंदिर ओम की आकृति के बीचो बीच बना हुआ है।

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